विशेष सूचना- भारत सरकार के नियमों के संदर्भ में विदेशों में निवासरत पूर्व छात्रों से अनुरोध है कि वे सीधे सहयोग न करें, बल्कि भारत में रह रहे अपने किसी निकट रिश्तेदार के माध्यम से सहयोग प्रदान करें।
पूर्व छात्र परिषद

विद्या भारती के चार आयामों में से एक महत्वपूर्ण आयाम है - "पूर्व छात्र परिषद". विद्या भारती के मार्गदर्शन में देश भर में 12000 से अधिक विद्यालय (सरस्वती शिशु/विद्या मंदिर)संचालित हैं।इन विद्यालयों से अपनी विद्यालयीन शिक्षा पूरी कर प्रति वर्ष हजारों -लाखों छात्र निकलते हैं। जैसा कि सर्वविदित है कि विद्या भारती के विद्यालयों में औपचारिक शिक्षा तो बहुत अच्छी मिलती ही है ,विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास भी होता है।विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास हेतु "पंचकोषात्मक विकास" की अवधारणा एवं इस हेतु पांच आधारभूत विषय शारीरिक,योग,संगीत,संस्कृत एवं नैतिक तथा आध्यात्मिक विषयों की शिक्षा सरस्वती शिशु/विद्या मंदिरों की विशेषता है।

साथ ही हर विद्यार्थी को जीवन की योग्य दिशा मिले,जीवन का लक्ष्य मिले इस हेतु राष्ट्र भक्ति,समाज भक्ति के बीज शिशु ओर बाल्यकाल से रोपित किए जाते हैं। इस प्रकार विद्या भारती के पूर्व छात्र जो राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत,समाज के प्रति संवेदनशील,अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक,अनेक व्यक्तिगत गुणों और क्षमताओं से समृद्ध हैं उन्हें संपर्क में रखने तथा उनकी प्रेरणा को जागृत रखने के उद्देश्य से पूर्व छात्र परिषद का कार्य संचालित होता है।